रामचरितमानस में पर्यावरण - डाo ज्योत्सना मोहन

रामचरितमानस में पर्यावरण - डाo  ज्योत्सना मोहन
रामचरितमानस में पर्यावरण - डाo  ज्योत्सना मोहन रामचरितमानस में पर्यावरण - डाo  ज्योत्सना मोहन रामचरितमानस में पर्यावरण - डाo  ज्योत्सना मोहन रामचरितमानस में पर्यावरण - डाo  ज्योत्सना मोहन
Product Code: ebook
Availability: In Stock
Price: Rs.800 Rs.600
Qty:     - OR -   Add to Wish List
Add to Compare

संस्कृत वाङ्ग्मय् के वैदिक साहित्य से लौकिक साहित्य तक 'पर्यावरण' किसी न किसी रूप् में उपलब्ध है| हिन्दी साहित्य में भी पर्यावरण की इस परम्परा को बनाये रखा गया| गोस्वामी तुलसीदास कृत 'रामचरितमानस' में आध्यात्मिक, सान्स्कृतिक, प्राकृतिक, कारुणिक, राजनैतिक, सामाजिक, नैतिक एवं प्राणिगत परम्परा का निर्वाह किया है और पर्यावरण का निर्माण किया है| मानस का प्रत्येक दोहा, सोरठा, छन्द और चौपायी किसी न किसी 'पर्यावरण' से प्रभावित है| तुलसी  ने विविध आदर्शों की स्थापना कर समन्यवाद की प्रतिष्ठा द्वारा लोकनायक का कार्य किया और मानस आध्यात्मिक, नैतिक, सान्स्कृतिक एवं सामाजिक पर्यावरण का दर्शन कराया|

Please note this is a digital product. No physical book will be delivered. You will be provided with a link to the file(s) once the purchase has been made successfully.

 

Write a review

Your Name:


Your Review: Note: HTML is not translated!

Rating: Bad           Good

Enter the code in the box below: