Your shopping cart is empty!
वैदिक वाङ्ग्मय में शुल्ब सूत्रों का स्थान अति महत्त्वपूर्ण है. श्रौत यागों में कुण्डमण्डप तथा इष्टकाओं का निर्माण इसी शास्त्र से होता है. "सर्ववेदे प्रतिष्ठितं" वचन के अनुसार श्रुतिमूलक यह ग्रन्थ रेखागणित (Geometry) शास्त्र का जनक है.
क्षेत्रद्वैगुण्य का मानदण्ड, समचतुष्कोण को आयताकार में परिवर्तित करना, आयत को समचतुरस्र में, भुजकोटि के समिष्ट क्षेत्रफल प्रतिपादक प्रमाण का निर्धारण, त्रिकोण को चतुष्कोण में, चतुष्कोण को त्रिकोण में, वृत्त को चतुरस्र एवं चतुरस्र को वृत्त में परिवर्तित करना इत्यादि शुल्ब प्रमेय इस शास्त्र में वर्णित है