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इस ग्रन्थ में श्री सायणाचार्य तथा पo श्रीपाददामोदर सातवलेकर, इन दोनों व्याख्याकारों के वेदभाष्यों का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया है. तुलना के साथ ही इनके विचारों की समीक्षा भी की गयी है. विदुषी लेखिका ने विषय विवेचन की सुविधा एवं सुस्पष्कटीरण हेतु, इस ग्रन्थ को उपसंहार सहित छः अध्यायों में विभक्त किया है.