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याज्ञवल्क्य महर्षि द्वारा प्रणीत विज्ञानेश्वर प्रणीत मिताक्षरा व्याख्या, बालभट्टी- श्रीकर विश्वरूपापराकादि प्राच्य टीका पाठान्तर टिप्पण्यादिभिश्च सनाथीकृता नारायणराम आचार्य काव्यतीर्थ इत्यनेन टिप्पण्यादिभि:-रूपब्रह्मां संशोधिता