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मानव जीवन की वैविध्यपूर्ण कलादृष्टि का रूपांकन है - तौर्यत्रिकं। इसमें गीत,वाद्य और नृत्य तीनों एक साथ झंकृत होकर भारतीय नाट्य को रूपायित करते हैं। प्रस्तुत प्रबंध में आधुनिक मञ्च एवं दृश्यपट के लिए तीन सङ्गीत रूपक उत्तर-रामचरित, राम्राज्यावतरण और आदि-नृत्यांगना सुतनुका के सन्दर्भ संजोये गए हैं। संस्कृत एवं हिंदी का आनुपूर्वी प्रवाह हर सहृदय वर्ग को उन्मुक्त विकल्प देकर आकर्षित करेगा।