महाकवि कालिदास की कृतियों में धर्मशास्त्रीय विषयों का अन्वेषक यह ग्रन्थ कुल आठ अध्यायों में विभक्त है. विविध धर्मशास्त्रीय विषयों में से जिन विषयों का विस्तृत वर्णन महाकवि ने अपनी कृतियों में किया है, उन्हे स्वतन्त्र अध्यायों में स्थान दिया गया है. ये विषय हैं- वर्ण,आश्रम, संस्कार, पञ्च्महायज्ञ, स्त्रीधर्म तथा राजधर्म. इसी प्रकार ग्रन्थ क सातवां अध्याय तीर्थ, व्रत, यज्ञ एवं पुत्र आदि प्रकीर्ण धर्मशास्त्रीय विषयों का वर्णन करता है.
इस ग्रन्थ में सर्वप्रथम कालिदास के द्वारा वर्णित विषयों से संबन्धित स्थलों का वर्णन करते हुए तत्सम्बन्धी धर्मशास्त्रीय विचारों का उपस्थापन किया गया है. अन्त में महाकवि की तद्विषयक धारण से धर्मशास्त्रीय विचारों का समन्वय दिखलाया गया है. एक ही विषय से संबन्धित धर्मशास्त्रीय मतों में भिन्नता की स्थिति में वहुमान्यत को प्रधानता दी गयी है.
महाकवि द्वारा वर्णित विचारों के आधार हेतु प्रमाणों के संकलन में प्रधानतः वैदिक संहिताओं, ब्राह्मणों, आरण्यकों, धर्मसूत्रों, स्मृतियों, गृह्यसूत्रों, नीतिग्रन्थो तथा महाभारत की सहायता के साथ-साथ नवीन ग्रन्थों के विचारों का भी आश्रय लिया गया है.