सत्रहवीं शताब्दी में देश की पुनर्जागृति के अनुरूप विपुल साहित्य का निर्माण विभिन्न विधाओं अन्तर्गत हुआ। इस पुस्तक में १२ महाकवियों और उनके १६ महाकाव्यों को विषय बनाया गया है